दधिमती माता

नागौर जिले में गोठ और मांगलोद गांव के बीच दाधीच ब्राह्मणों (Dadhich Brahmins) की कुलदेवी दधिमती माता (Dadhimati Mata) का 2000 साल पुराना मंदिर है। इस मंदिर को लेकर दावा किया जाता है कि उत्तर भारत (North India) का यह सबसे प्राचीन मंदिर (Ancient temple) है। इसका निर्माण गुप्त संवत 289 को हुआ था। इसकी विशेषता यह है कि मंदिर के गुंबद पर हाथ से पूरी रामायण उकेरी गई है।

गुंबद का निर्माण 1300 साल पहले हुआ था जबकि मान्यता है कि मां का प्राकट्य दो हजार साल पहले हुआ था। यहां दाधीच समाज के लोग बच्चों के रिश्ते की बात पहले तय कर लेते हैं और नवरात्र में बच्चों को आपस में दिखाकर मां के समक्ष ही रिश्ता पक्का करते हैं। अष्टमी को यहां मेले का आयोजन होता है, जिसमें देशभर से लोग आते हैं।

राजा मान्धाता ने यज्ञ कर चार कुंडों में चार नदियाें जल उत्पन्न किया

कहा जाता है कि यहां अयोध्या के राजा मान्धाता ने यज्ञ किया था। इसके लिए चार हवन कुंड बनाए गए थे। राजा ने आह्वान करके चारों कुंडों में चार नदियाें गंगा, यमुना, सरस्वती और नर्मदा का जल उत्पन्न किया था। इन कुडों के पानी का स्वाद अलग-अलग है।

कलयुग के बढ़ते प्रभाव से मंदिर का मुख्य स्तंभ सतह से चिपकता जा रहा है

पुराणों के अनुसार, दधिमती माता ऋषि दधीचि की बहन हैं। इन्हें लक्ष्मी का अवतार भी माना जाता है। इस मंदिर को लेकर एक और मान्यता है कि कलयुग के बढ़ते प्रभाव से मंदिर का मुख्य स्तंभ सतह से चिपकता जा रहा है। मां दधिमती का जन्म माघ शुक्लपक्ष की सप्तमी यानी रथ सप्तमी को हुआ था। मां दधिमती ने दैत्य विताकासुर का वध भी किया था।

एक हजार से अधिक श्रद्धालु करते हैं दुर्गा सप्तशती पाठ

पंडित विष्णु शास्त्री बताते हैं कि नवरात्र में रोज एक हजार से अधिक श्रद्धालु दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं। उनके रहने के लिए मंदिर में ही व्यवस्था की जाती है। परिसर में करीब 250 कमरे बनाए गए, जहां बाहर से आए श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था की जाती है।

औरंगजेब ने किया था हमला, मधुमक्खियों ने किया नाकाम

मंदिर कमेटी से जुड़े रिटायर्ड जिला जज संपतराज शर्मा के मुताबिक ‘मुगल काल में औरंगजेब ने मंदिर पर हमला किया था। तब यहां गुंबद पर मौजूद मधुमक्खियों ने औरंगजेब की सेना पर हमला बोल दिया था, जिससे सैनिक वापस भाग गए।